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भारत की सर्वोन्नत प्रतिमा बावनगजाजी

भारत के ह्रदय स्थल मध्यप्रदेश के बड़वानी जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दुर दक्षिण मे सतपुड़ा की सुरम्य पर्वत श्रृंखलावलियो के मध्य में बावनगजा स्थित है। यहा की प्राक्रतिक छँटा बहुत ही मनोरम है। यहा पर जैन धर्म के आध्य प्रवर्तक तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेवजी की विश्व की सबसे ऊँची खड्गासन अति प्राचीन प्रतिमा पर्वत में ही उत्कीर्ण है। प्रतिमा बावन 52 हाथ प्रमाणित होने की वजह से इसे व क्षेत्र को सम्पूर्ण भारत में बावनगजा के नाम से जाना जाता है। सहस्त्राब्दियों से साधनावस्थित, इस मन मोहिनी प्रतिमा में वीतरागता, सौम्यता, कला, भाव प्रवणता की ऊँचाइयाँ भी विध्यमान है। प्रतिमा का शिल्प विधान अदभुत तथा समानुपातिक है। प्रत्येक अंग प्रत्यंग सुडौल है। अनाम शिल्पकार के कुशल हाथो ने अपनी प्रवण छेणी और हथोड़ो से पर्वत के पाषाण पटल पर सिरोभाग से चरण तल तक जो वीतरागता के भाव साकार किये है उसे देख श्रद्धालु व कला मर्मज्ञ अपलक घंटो निहारते रहते है।

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प्रतिमाजी का नाप:

प्रतिमा की कुल ऊँचाई                           - 84 फीट
एक भुजा से दुसरी भुजा का विस्तार         - 24 फीट
भुजा से अंगुली तक                               - 46 फीट  2 इंच
कमर से एड़ी तक                                  - 47 फीट
सिर का घेरा                                         - 26 फीट
पैर के पंजे की लम्बाई                            - 13 फीट 09 इंच
नाक की लम्बाई                                   - 03 फीट 11 इंच
आँख की लम्बाई                                  - 03 फीट 03 इंच
कान की लम्बाई                                   - 09 फीट 08 इंच
एक कान से दुसरे कान की दुरी               - 17 फीट 06 इंच
पैर के पंजे की चौड़ाई                            - 05 फीट